टिहरी: उत्तराखंड के टिहरी निवासी 25 साल के कमलेश भट्ट का शव देर रात करीब डेढ़ बजे दुबई से कार्गो विमान से दिल्ली इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट लाया गया। जहां से देर रात ही उसके स्वजन युवक के शव लेकर ऋषिकेश के लिए रवाना हुए। आज ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट पर कमलेश भट्ट का अंतिम संस्कार किया गया।
बीती 16 अप्रैल को कमलेश की दुबई में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। समाजसेवी रोशन रतूड़ी ने लॉकडाउन की विषम चुनौतियों के बीच कड़े संघर्ष के बाद कमलेश के शव को दिल्ली भिजवाया। लेकिन एयरपोर्ट से शव को वापस दुबई भेज दिया गया, जिससे युवक परिजनों को सदमा लगा। आबुधाबी एयरपोर्ट पर समाजसेवी रोशन रतूड़ी ने कमलेश के शव को रिसीव करने के बाद अस्पताल के मोर्चरी में रखवाया।

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इसके बाद युवक में परिजनों ने शव को दोबारा भारत लाने के लिए पीएमओ, केंद्र सरकार और राज्य सरकार से मांग की। परिजनों का प्रार्थनापत्र दिल्ली गृहमंत्रालय को भेजा गया। जिसके बाद बीते कल फिर युवक का शव देर रात दिल्ली पहुंचा औऱ दिल्ली से एम्बुलेंस के जरिए ऋषिकेश लाया गया। लॉकडाउन के चलते सीमित संख्या में परिजनों ने ऋषिकेश में कमलेश का अंतिम संस्कार किया।

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रोशन रतूड़ी दुनियाभर में फंसे भारतीयों की मदद के लिए आगे आते रहते हैं। वह इससे पहले भी विदेशों में कई बेसहारा लोगों के लिए फरिश्ता बन चुके हैं। आज पूरा राज्य रोशन रतूड़ी को सलाम कर रहा है और बेटे को खोने के बाद अंतिम दर्शन के लिए कमलेश का परिवार दुआएं दे रहा है।

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गरीबी के कारण पढ़ाई-लिखाई की उम्र में ही धनोल्टी तहसील में सकलाना पट्टी के सेमवाल गांव निवासी कमलेश भट्ट सात समुंदर पार दुबई नौकरी के लिए चला गया था। जैसे-तैसे गांव इंटर की पढ़ाई करने के बाद वह दुबई के एक होटल में नौकरी करने चले गया। बुजुर्ग पिता हरि प्रसाद भट्ट और माता प्रमिला देवी को आस थी कि उनका लाडला उनके तंगहाली को दूर करेगा। लेकिन अब कमलेश की मौत के बाद बूढ़े मां-बाप का सहारा छिन जाने से परिवार की जिम्मेदारी छोटे बेटे राजेश के कंधों पर आ गयी।

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