देश में यहाँ जले लाखो दीप, पीएम ने किया आगाज, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड…..

अयोध्याः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अयोध्या के सरयू तट पर दीप जलाकर भव्य दीपोत्सव का आगाज किया। इसके बाद लाखों की संख्या में सरयू घाट पर दीप जगमगाने लगे। भव्य लेजर शो के जरिए राम कथा के प्रस्तुतीकरण ने लोगों का मन मोह लिया और लोग भाव विभोर हो उठे। इससे पहले पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए भारतीय चिंतन परंपरा में दीपों के महत्व को प्रकाशित किया।

पीएम मोदी ने इस दौरान अपनी एक कविता भी सुनाई।मोदी ने कहा कि राम चरित मानस में तुलसीदास ने कहा है कि जगत प्रकाश्य, प्रकाशक रामो। भगवान राम पूरे विश्व को प्रकाश देने वाले हैं। पूरे विश्व के लिए वह एक ज्योतिपुंज की तरह हैं। ये प्रकाश कौन सा है, ये प्रकाश है- दया और करुणा का। मानवता और मर्यादा का। समभाव और ममभाव का। ये प्रकाश है सबके साथ का। सबको साथ लेकर चलने के संदेश का।

उन्होंने कहा कि सालों पहले शायद लड़कपन में, मैंने दीपक पर एक कविता लिखी थी, शीर्षक था, दीवो यानी कि दीया। उसकी पंक्तियां याद आ रही है।पीएम मोदी ने गुजराती में कविता सुनाने के बाद उसका हिंदी में अर्थ भी बताया, जो इस प्रकार है-दीया आशा भी देता है, ऊष्मा भी देता है, आग भी देता है, आराम भी देता है। उगते सूरज को तो हर कोई पूजता है लेकिन दीया अंधेरी रात में भी साथ देता है। दीया स्वयं भी जलता है और अंधेरे को भी जलाता है। दीया मनुष्य के मन में समर्पण का भाव लाता है।”

दीप के बारे में बताते हुए मोदी ने आगे कहा कि हम स्वयं खपते हैं लेकिन जब सिद्धि का प्रकाश का प्राप्त होता है तो निष्काम भाव से उसे पूरे संसार को दे देते हैं। जब स्वार्थ से ऊपर ऊठकर संकल्पों की सिद्धि होती है तो हम कहते हैं कि यह सिद्धी मेरे लिए नहीं है। यह मानव मात्र के कल्याण के लिए है। यही भारत का चिंतन है चिरंतन संस्कृति है। भारत ने कितने अंधकार भरे युगों का सामना किया, जब दुनिया के कितने सूरत अस्त हो गए तब भी हमारे दीपक जलते रहे। हमने दीप जलाना नहीं छोड़ा। हमने विश्वास बढ़ाना नहीं छोड़ा।

उन्होंने कहा कि कोरोना के हमले की मुश्किलों के बीच इसी भाव से हर भारत वासी एक एक दीपक लेकर खड़ा हो गया था, और आज कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत कितनी ताकत से लड़ रहा है, ये दुनिया देख रही है। जब प्रकाश हमारे कर्मों का साक्षी बनता है तो अंधकार का अंत अपने आप सुनिश्चित हो जाता है।