उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में अब इन पदों पर निकलेगी भर्ती, उत्तराखंड बोर्ड में भी अब सप्लीमेंट्री परीक्षा का ऑप्शन……

देहरादून: कैबिनेट द्वारा लिये गये निर्णय।
• प्रारंभिक शिक्षा विभाग में समग्र शिक्षा योजनान्तर्गत विकासखण्ड स्तर पर सृजित ब्लॉक रिसोर्स पर्सन (बी०आर०पी०) एवं संकुल रिसोर्स पर्सन (सी०आर०पी०) के पदों पर भर्ती के निर्धारित स्रोत प्रतिनियुक्ति के स्थान पर आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से चयन कराये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय, समग्र शिक्षा योजनान्तर्गत विकासखण्ड एवं संकुल स्तर पर अकादमिक सहयोग एवं अनुसमर्थन हेतु शासनादेश दिनांक 28 अक्टूबर 2020 के द्वारा 285 ब्लॉक रिसोर्स पर्सन (बी०आर०पी०) एवं 670 क्लस्टर रिसोर्स पर्सन (सी०आर०पी०) इस प्रकार कुल 955 पद सृजित किये गये हैं।

वर्तमान में भारत सरकार द्वारा समग्र शिक्षा के अन्तर्गत ब्लॉक रिसोर्स पर्सन (बी०आर०पी०) व क्लस्टर रिसोर्स पर्सन (सी०आर०पी०) के पदों पर तैनात कार्मिकों को र 40,000/- (रु० चालीस हजार मात्र) प्रतिमाह का मानदेय निर्धारित किया है, जिसमें 90ः10 अनुपात के आधार पर केन्द्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा खर्चे का वहन किया जाएगा। बी०आर०पी० व सी०आर०पी० के पदों पर आउटसोर्स एजेन्सी के माध्यम से कुल 955 पदों पर तैनाती की कार्यवाही की जायेगी।

• 2022-23 सत्र से उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर नैनीताल की हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की परिषदीय परीक्षाओं में सम्मिलित परीक्षार्थियों को परीक्षाफल में सुधार का अवसर देने हेतु परीक्षाफल सुधार परीक्षा का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है। परीक्षाफल सुधार परीक्षा में जहाँ हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की मुख्य परिषदीय परीक्षा में अनुतीर्ण परीक्षार्थियों को अपने परीक्षाफल सुधार करने अर्थात उत्तीर्ण होने के तीन अतिरिक्त अवसर प्रदान किए जाएंगे वहीं दूसरी और हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की परिषदीय परीक्षा में उत्तीर्ण परीक्षार्थियों को विषय विशेष में अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाने की दशा में अपने उस विषय / विषयों के प्राप्तांकों में सुधार का एक अतिरिक्त अवसर भी प्रदान किया जायेगा। उपरोक्तानुसार उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद् विनियम, 2009 में विद्यमान विनियम में प्रस्तर 16 के पश्चात् नये प्रस्तर 16 (1) का अंतस्थापन किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई।

• उत्तराखण्ड फुट लाँच एयरो स्पोर्ट (पैराग्लाइडिंग) 2018 (मूल नियमावली) यथा प्रथम संशोधित नियमावली-2019 में निहित प्राविधानों के अन्तर्गत व्यवसायिक पैराग्लाइडिंग की अनुज्ञा प्रदान करने में आ रही कतिपय व्यवहारिक कठिनाईयों के दृष्टिगत संशोधन प्रस्तावित किया गया है जिसमें आवेदक का आवेदन मंजूर होने पर ऑपरेटर को एक माह के अन्तर्गत अनुज्ञा निर्गत किये जाने का प्रस्ताव है एवं यात्रियों के सुरक्षा मानकों में लापरवाही पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही ट्रेंडम पायलट के द्वारा न्युनतम 50 कि०मी० के स्थान पर न्यूनतम 35 कि०मी० की हवाई दूरी तय किये जाने का प्रावधान किया गया है। उक्त न्यूनतम हवाई दूरी आर्हता प्राप्त किये जाने के लिये 30 जून, 2023 तक का अतिरिक्त समय प्रदान किया गया है।

• प्रदेश के अशासकीय विद्यालयों के संचालन हेतु उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम-2006 प्रख्यापित है सम्बन्धित अधिनियम के भाग-8 “प्रशासन योजना, प्रबन्ध समिति का कार्यकाल, प्राधिकृत नियन्त्रक की नियुक्ति के धारा 33 (प्रबन्ध समिति का कार्यकाल) में इस अधिनियम की धारा 29 के अधीन बनाई गयी प्रशासन योजना में अशासकीय विद्यालयों में संचालित प्रबन्ध समिति का कार्यकाल तीन वर्ष से अधिक नहीं होगा, प्राविधानित है, किन्तु तत्कालीन मा० मंत्रिमण्डल द्वारा बिना विभागीय प्रस्ताव के स्वतः संज्ञान लेते हुए दिनांक 16 जुलाई 2016 एवं दिनांक 13 दिसम्बर 2016 को प्रबन्ध समिति का कार्यकाल 03 वर्ष से बढ़ाकर 05 वर्ष किये जाने का निर्णय लिया गया है।

मा० मंत्रिमण्डल द्वारा लिये गये उक्त निर्णय के अनुपालन हेतु उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम 2006 में तद्नुसार आवश्यक संशोधन किये जाने के लिए विधेयक का प्रस्ताव तत्समय किन्ही कारणवश विधानसभा के पटल पर नहीं रखा जा सका है। उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम-2006 में अशासकीय विद्यालयों की प्रबन्ध समिति के कार्यकाल के सम्बन्ध में प्राविधानित 03 वर्षीय कार्यकाल की व्यवस्था समुचित है। उक्त कार्यकाल बढ़ाकर 05 वर्ष किये जाने से अशासकीय विद्यालयों में न्यायिक वादों में वृद्धि हो सकती है। 03 वर्ष कार्यकाल रखे जाने की स्थिति में यदि प्रबन्ध समिति अच्छा कार्य करेगी और लोकप्रिय होगी तो अवश्य ही दूसरे कार्यकाल हेतु चुन कर आ सकती है। अतः ऐसी स्थिति में अशासकीय विद्यालयों में संचालित प्रबन्ध समिति का कार्यकाल अधिनियम में उल्लिखित वर्तमान व्यवस्थानुसार 03 वर्ष ही यथावत रखे जाने के प्रस्ताव को किया गया अनुमोदित।

राज्य में वर्ष 2017 से माल और सेवा कर (जी०एस०टी०) लागू होने के दृष्टिगत राज्य में मनोरंजन कर विभाग का समायोजन वाणिज्य कर विभाग में हो जाने के फलस्वरूप मनोरंजन कर विभाग के कार्मिकों का संविलियन वाणिज्य कर विभाग में किया गया है। साथ ही “वाणिज्य कर विभाग उत्तराखण्ड का नाम परिवर्तित कर राज्य कर विभाग उत्तराखण्ड“ किया गया है। उक्त के क्रम में राज्य कर विभाग में प्रभावी उत्तराखण्ड वाणिज्य कर अधिकारी सेवा नियमावली के नाम को परिवर्तित कर उत्तराखण्ड राज्य कर अधिकारी सेवा नियमावली किया जाना एवं वाणिज्य कर विभाग में मनोरंजन कर विभाग से संविलियन किये गये कार्मिकों को सेवा संबंधी लाभ प्रदान किये जाने हेतु उत्तराखण्ड वाणिज्य कर अधिकारी सेवा नियमावली, 2009 के कतिपय नियमों में संशोधनों के अनुसार उत्तराखण्ड वाणिज्य कर अधिकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली 2023 को प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी। नियमावली में “वाणिज्य कर शब्दों के स्थान पर “राज्य कर“ शब्द “आयुक्त कर शब्दों के स्थान पर “आयुक्त राज्य कर किया गया है। सेवा की सदस्य संख्या में मनोरंजन कर विभाग से संविलियन निरीक्षक संवर्ग के कार्मिकों हेतु 09 पदों को आरक्षित किये जाने एवं अन्य सेवा सम्बन्धी संशोधन किये गये है। नियमावली में आरक्षण सम्बन्धी विद्यमान नियम में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का अंकित किये जाने हेतु संशोधन शामिल है।

मुख्य सचिव उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता में गठित व्यय वित्त समिति (ई.एफ.सी.) के कार्यक्षेत्र की सीमा में संशोधन किये जाने के प्रस्ताव को भी दी गई स्वीकृति, इसके अंतर्गत अब विभिन्न बड़े निर्माण कार्यों हेतु ईएफसी से अनुमोदन की सीमा की रू. 05 करोड़ या उससे अधिक से बढ़ाकर रू. 10 करोड से अधिक किया जाना। मूल लागत रू. 06 करोड़ से अधिक के निर्माण कार्यों के पुनरीक्षित आगणन में 50 प्रतिशत अथवा 10.00 करोड़ (जो भी कम हो) से अधिक की वृद्धि हो तो उस पर ईएफसी का अनुमोदन अनिवार्य। अब निर्माण कार्यों के साथ ही रू. 10.00 करोड़ से अधिक की सभी परियाजनाओं (कार्मिकों के अधिष्ठान संबंधी प्रकरणों को छोड़कर) को ईएफसी के समक्ष रखा जाएगा। ई.एफ.सी. की सीमा से बाहर की परियोजनाओं के प्रस्ताव (रु. 01.00 करोड़ से 10.00 करोड़ तक) को प्रशासकीय विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित विभागीय वित्त समिति द्वारा परीक्षण किया जायेगा जिसमें वित्त विभाग एवं राज्य योजना आयोग के तकनीकी अभियंताओं को सम्मिलित करते हुए उनके सुझावों को संज्ञान में लिया जाएगा।

उत्तराखण्ड अग्निशमन एवं आपात सेवा विभागान्तर्गत फायर स्टेशन की स्थापना हेतु वर्तमान में कोई स्पष्ट मानक निर्धारित न होने के कारण फायर स्टेशन की स्थापना / अग्निशमन कार्मिकों के पद सृजन में कतिपय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है अतः राज्य में हो रहे शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण के विस्तार के क्रम में फायर रिस्क को दृष्टिगत रखते हुये अग्निशमन एवं आपात सेवा का सुदृढ़ीकरण किये जाने के क्रम में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश एवं हिमांचल प्रदेश की तर्ज पर राज्य में फायर स्टेशन की स्थापना हेतु 07 श्रेणियों में वाहन / मशीन / उपकरण तथा अग्निशमन कार्मिकों के मानकों का निर्धारण किये जाने के सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है.

राज्य के देहरादून, पौड़ी एवं अल्मोड़ा जिलों में उत्तराखण्ड भातखण्डे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय स्थापित हैं, जिनमें गत वर्षों से उत्तराखण्ड एवं अन्य राज्यों के अनेकों विद्यार्थियों को हिन्दुस्तानी संगीत की विद्या में पारंगत किया जाता रहा है। इन महाविद्यालयों में कार्यरत संगतकर्ताओं / कनिष्ठ प्रवक्ताओं / प्रवक्ताओं को पदोन्नति के अवसर उपलब्ध कराये जाने एवं हिन्दुस्तानी संगीत में अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं को रोजगार के अवसर प्रदान कराये जाने हेतु उत्तराखण्ड भातखण्डे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय अधीनस्थ सेवा नियमावली 2023 प्रख्यापित की जा रही है। किये जाने का लिया गया निर्णय।

वन विभाग के अंतर्गत ईको-टूरिज्म से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों, जिसमें फीस आदि से आय प्राप्त होती है। उस आय में से कितना अंश स्थानीय स्तर पर गठित संस्थाओं / समितियों को उनके संचालन हेतु रखे जाने है और कितना अंश राज्य के राजकोष में जमा किया जाना है, के संबंध में रेवेन्यू शेयरिंग हेतु निम्न प्रस्ताव स्वीकृत किया गया हैः- संरक्षित क्षेत्रों से बाहर वन क्षेत्रों में नये ईकोटूरिज्म डेस्टिनेशन्स में विभिन्न मदों यथा प्रवेश शुल्क, साहसिक गतिविधियों, पार्किंग स्थगन सुविधाओं, कैम्पिंग आदि में लिये जाने वाले शुल्क का प्रथम वर्ष में 10 प्रतिशत एवं आगामी वर्षों में 20 प्रतिशत राजकोष में जमा किया जायेगा शेष धनराशि स्थानीय संस्थाओं के पास उनके रख-रखाव आदि पर व्यय किया जायेगा। ऐसे इकोटूरिज्म डेस्टिनेशन जिनकी व्यय के उपरान्त अवशेष धनराशि जिस भी समय रू0 5.00 करोड़ से अधिक होगी तो रू0 5.00 करोड़ से ऊपर की धनराशि राजस्व मद में जमा की जायेगी। पंचायती वनों में ईको टूरिज्म गतिविधियों के संबंध में 10 प्रतिशत राजकोष में जमा किया जायेगा एवं 90 प्रतिशत स्थानीय संस्थाओं के पास उनके रख-रखाव आदि पर व्यय किया जायेगा। पूर्व से संचालित ईकोटूरिज्म डेस्टिनेशन्स के संबंध में 20 प्रतिशत राजकोष में जमा किया जायेगा एवं 80 प्रतिशत स्थानीय संस्थाओं के पास उनके रख-रखाव आदि पर व्यय किया जायेगा।

उत्तराखण्ड ईकोटूरिज्म डेवलपमेन्ट कारपोरेशन की स्थापना कम्पनी अधिनियम 2013 के अन्तर्गत वर्ष 2016 में की गई है। जिन इकोटूरिज्म डेस्टिनेशन्स को कॉर्पोरेशन के माध्यम से संचालित किया जायेगा, उनमें इकोटूरिज्म गतिविधियों से प्राप्त होने वाले शुल्क का 20 प्रतिशत राजकोष में जमा किया जायेगा एवं 80 प्रतिशत स्थानीय संस्थाओं के पास उनके रख-रखाव आदि पर व्यय किया जायेगा। ईको-टूरिज्म डेस्टिनेशन्स को विकसित किये जाने में उत्कृष्ट कार्य हेतु जनपदों को तीन पुरस्कार (प्रथम पुरस्कार रू0 1.00 करोड, द्वितीय पुरस्कार रू0 75.00 लाख एवं तृतीय पुरस्कार रू0 50.00 लाख) से पुरस्कृत किया जायेगा, जो ईको-टूरिज्म के अग्रेत्तर विकास हेतु व्यय किया जायेगा जिस जनपद को वर्ष विशेष में प्रथम स्थान प्राप्त होगा उस पर अगले तीन वर्षों तक इस पुरस्कार हेतु विचार नहीं किया जायेगा।

भारत सरकार द्वारा बाल्य देखभाल अवकाश को युक्तियुक्त बनाये जाने के उद्देश्य से लिये गये निर्णय के क्रम में राज्य सरकार की महिला सरकारी सेवकों को विशिष्ट परिस्थितियों यथा संतान की बीमारी अथवा उनकी परीक्षा आदि में संतान की 12 वर्ष की आयु तक देखभाल हेतु सम्पूर्ण सेवाकाल में अनुमन्य 02 वर्ष (730 दिन) के बाल्य देखभाल अवकाश के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया है कि एकल अभिभावक (महिला एवं पुरूष) सरकारी सेवकों को भी बाल्य देखभाल अवकाश प्रदान किया जायेगा। एकल अभिभावक में अविवाहित / विधुर / तलाकशुदा पुरुष सरकारी सेवक तथा अविवाहित महिला सरकारी सेवकों को सम्मिलित किया जायेगा।. बाल्य देखभाल अवकाश के प्रयोजनार्थ 40 प्रतिशत या उससे अधिक विकलांग /निःशक्त बच्चों के मामले में आयु का कोई प्रतिबन्ध नहीं होगा।

उत्तराखण्ड स्टोन क्रेशर स्क्रीनिंग प्लान्ट, पल्वराईजर मोबाईल स्टोन क्रेशर, मोबाईल स्क्रीनिंग प्लान्ट, हॉट मिक्स प्लान्ट, रेडी मिक्स प्लान्ट अनुझा नीति-2021 के बिन्दु संख्या-6 में गठित स्थल चयन समिति में उक्त नीति के प्रख्यापन से पूर्व प्रभावी नीतियों / प्राविधानों के अनुरूप उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि को स्थल चयन समिति में सम्मिलित न किये जाने के सन्दर्भ में जनहित याचिका संख्या 169 / 2020 देवेन्द्र सिंह अधिकारी बनाम उत्तराखण्ड राज्य व अन्य में मा० उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड द्वारा पारित आदेश दिनांक 02.01.2023 में उल्लिखित निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किये जाने हेतु उत्तराखण्ड स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लान्ट, मोबाईल स्टोन क्रेशर, मोबाईल स्क्रीनिंग प्लान्ट, पल्वराईजर प्लान्ट, हाट मिक्स प्लान्ट, रेडिमिक्स प्लान्ट अनुज्ञा नीति 2021 के बिन्दु संख्या 6 में अंकित स्थल चयन समिति में उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि को सदस्य के रूप में सम्मिलित किये जाने के प्रस्ताव को दी गई स्वीकृति।

उत्तराखण्ड राज्य में निराश्रित गोवंश की संख्या में निरंतर वृद्धि के दृष्टिगत जहां एक तरफ उनकी सड़क दुर्घटना की संख्या में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न शहरों में यातायात अवरोध की स्थिति तथा ग्रामीण क्षेत्रा में फसल क्षति की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है। इसके अतिरिक्त कतिपय विभागों द्वारा गोवंश हेतु दी जाने वाली अनुदान की सहायता धनराशि में भी अन्तर है।

अतः उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत निराश्रित बेसहारा गोवंश को आश्रय उपलब्ध कराने, आश्रय स्थल पर उनके भरण-पोषण की व्यवस्था / संरक्षित गोवंश को विभिन्न बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण एवं समुचित चिकित्सा व्यवस्था विभिन्न नर गोवंश के बंध्याकरण तथा संरक्षित मादा गोवंश को प्रजनन सविधा उपलब्ध कराते हुए उन्हें स्वास्थकर पर्यावरणीय दशाएं तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने हेतु गोसदनों की स्थापना संचालन तथा उनके आवश्यक वित्तीय प्रबंधन हेतु लिये गये निर्णयों को मिली मंजूरी। इसके अंतर्गत उत्तराखण्ड राज्य में गोसदनों में विद्यमान निराश्रित गोवंशीय पशुओं की संख्या को सम्मिलित करते हुए शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में विचरण कर रहे गोवशीय पशुओं के भरण पोषण हेतु निर्धारित रु 30 प्रति गोवंश प्रतिदिन की दर से दी जा रही धनराशि को बढ़ाकर रू. 80 प्रति गोवंश प्रतिदिन की दर से अनुदान दिया जायेगा।

गोसदनों के संचालन के लिए एनजीओ मोडल अपनाया जायेगा इस सम्बंध में इस क्षेत्र में पूर्व से ही कार्य कर रहे एनजीओ को वरीयता दी जायेगी तथा यदि उनके स्तर पर समाधान नहीं हो पाता है तो नये एनजीओ के माध्यम से गोसदनों के संचालन की कार्यवाही की जायेगी। यदि किसी एन०जी०ओ० के पास पूर्व से भूमि उपलब्ध होगी तो उस पर निर्माण हेतु धनराशि की कमी होने पर राज्य सरकार निर्माण कार्य हेतु व्यय (गेप फंडिग) धनराशि वहन कर सकती है। निराश्रित गोवंश को भरण-पोषण हेतु दिये जाने वाले अनुदान के लिए पशुपालन विभाग नोडल विभाग होगा तथापि इस निर्मित बजटव्यवस्था नगरीय क्षेत्रों से पकड़े गये गोवंश के निमित्त शहरी विकास विभाग के आय-व्ययक में तथा ग्रामीण क्षेत्रों से पकड़े जाने वाले गोवंश हेतु पशुपालन विभाग के आय-व्ययक में बजट प्रावधान कराया जायेगा।

शहरी विकास विभाग के अन्तर्गत इस हेतु प्राविधानित अनुदान तथा आबकारी विभाग के अन्तर्गत सेस के माध्यम से प्राप्त धनराशि को पशुपालन विभाग द्वारा व्यय किया जायेगा। उक्त अनुदान डी०वी०टी० के माध्यम से दिया जायेगा। पशुपालन विभाग के अन्तर्गत उक्त कार्यो को पूर्व से कर रहे उत्तराखण्ड पशुकल्याण बोर्ड को और सशक्त किया जायेगा इस हेतु इसके अन्तर्गत एक पी.एम.यू. स्थापित करते हुए युवा पेशेवरों के चार पद सृजित कर उनकी भर्ती आउटसोर्स के माध्यम से की जायेगी। गोसदनों के पूँजीगत निर्माण कार्यों के निमित गेप फंडिंग हेतु सम्बन्धित जिलाधिकारी के नेतृत्व में शहरी विकास विभाग, नाबार्ड जिला माइनिंग फण्ड तथा अनटाइट फण्ड आदि के माध्यम से बजट व्यवस्था की जायेगी। समस्त नगरीय निकाय नगरीय परिधि से बाहर भी गोसदनों हेतु आवश्यक अनुदान / सुविधाएं उपलब्ध करायेंगे नगरीय तथा निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंशों को पकड़ कर गोसदनों में पहुंचाने हेतु निकाय के स्तर पर हाईड्रोलिक वाहन / केटल लिफ्टिंग व्हीकल की व्यवस्था की जायेगी।

 नगर पंचायत कालाढूंगी की सीमा से लगे ग्राम सभा हल्द्वानी छोटी एवं कालाढूंगी बन्दोबस्ती के सम्पूर्ण भाग को सम्मिलित करते हुए नगर पंचायत कालाढूगी का सीमा विस्तार किया जाना है। जिसे कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया है। प्रस्तावित क्षेत्र के सीमा विस्तार किये जाने के फलस्वरूप वहाँ के निवासियों को प्रकाश, सीवर लाईन, पक्की नाली, सड़कें, साफ-सफाई सम्पर्क मार्ग, शौचालयों आदि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध होगी।

जनपद उधमसिंहनगर के तहसील किच्छा अन्तर्गत प्राग फार्म के ग्राम गडरियाबाग में भूमि खाता सं0-02 मध्ये रकबा 121.6630 हे. अर्थात (300.5 एकड़ भूमि श्रेणी 5-1 (परती जदीद) को जमरानी बांध बहुउददेशीय परियोजना से प्रभावित ग्रामवासियों को पुनर्वासित किये जाने हेतु सिंचाई विभाग, उत्तराखण्ड के पक्ष में हस्तांतरित किये जाने के प्रस्ताव को मिली मंजूरी।

राज्य के राजकीय विद्यालय एवं राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के छात्र- छात्रों को क्रमोत्तर विद्यालयों में अध्ययन हेतु प्रोत्साहित करने तथा प्रदेश में छात्र ड्राप आउट को रोकने के दृष्टिगत कक्षा 6 से प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर कक्षा 12 तक के छात्र-छात्राओं हेतु मुख्यमंत्री मेघावी छात्र प्रोत्साहन छात्रवृत्ति (संलग्न विवरणानुसार) प्रदान किये जाने के प्रस्ताव पर मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।

राज्य में नजूल भूमि के प्रबन्धन व्यवस्थापन एवं निस्तारण हेतु शासनादेश संख्या-880/ ट.1 / 2021-28 (एन0एल0)/2015 दिनांक 11 दिसम्बर 2021 द्वारा प्रख्यापित नजूल नीति 2021 की अवधि दिनांक 10.12.2022 को समाप्त हो गयी है। नजूल नीति, 2021 के लागू रहने की अवधि दिनांक 10.12.2022 की समाप्ति के उपरांत उक्त नीति को दिनांकः 11.12.2022 से आगे बढ़ाये जाने एवं साथ ही आवास विहीन गरीब परिवारों को आवासीय प्रयोजन हेतु निःशुल्क भूमि की सुविधा प्रदत्त किये जाने हेतु नजूल नीति 2021 में निम्नवत् संशोधन करते हुए शासनादेश निर्गत किया जाना प्रस्तावित है-

नजूल नीति 2021 के लागू रहने की अवधि को दिनांकः 11.12.2022 से बढ़ाते हुए 01 वर्ष तक अथवा प्रस्तावित नजूल अधिनियम के अन्तर्गत प्रख्यापित होने वाली नियमावली जो भी पहले हो, तक प्रभावी / लागू रहने की व्यवस्था तथानजूल नीति 2021 के प्रस्तर-5 (1) में प्रदत्त व्यवस्था को संशोधित करते हुए “नजूल भूमि पर काबिज आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों, जो प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत प्राविधानित मानकों के अधीन पात्रता की श्रेणी में आते हों, को 50 वर्गमीटर तक आवासीय भूमि को निःशुल्क उपलब्ध कराने की सुविधा प्रदान की जायेगी“ की व्यवस्था की गई अनुमोदित।