उत्तराखंड में क्या नैनीताल हाई कोर्ट का ये फैसला बनेगा पूरे देश में मिसाल…..

नैनीताल: एसिड अटैक पीड़िता गुलनाज खान की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका में मुआवजे की धनराशि बढ़ाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा कि एसिड अटैक के समय याची 12वीं कक्षा की छात्रा थी और नाबालिग थी।

नैनीताल हाईकोर्ट ने ऊधमसिंह नगर की एसिड अटैक पीड़िता के पक्ष में निर्णय देते हुए राज्य सरकार को पीड़िता को 35 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। पीड़िता की चिकित्सा और सर्जरी पर जो व्यय होगा उसे भी राज्य सरकार वहन करेगी, भले ही इलाज उत्तराखंड के बाहर दिल्ली या चंडीगढ़ में हो। सुनवाई न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ के समक्ष हुई।

एसिड अटैक पीड़िता गुलनाज खान की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका में मुआवजे की धनराशि बढ़ाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा कि एसिड अटैक के समय याची 12वीं कक्षा की छात्रा थी और नाबालिग थी। अज्ञात व्यक्ति की ओर से दिए प्रेम प्रसंग के प्रस्ताव को ठुकराए जाने के कारण उस पर एसिड अटैक किया गया जिससे वह 60 प्रतिशत से भी ज्यादा जल गई। चिकित्सकों की ओर से भी इसे प्रमाणित किया गया है। घटना में उसका दाहिना कान पूरी तरह खराब हो गया था और दूसरे कान की 50 प्रतिशत सुनने की क्षमता भी चली गई थी। शरीर के कई अंगों में गंभीर जलन व चोटें आई थी। यह थर्ड डिग्री बर्न था।

इस मामले में आरोपी को 2016 में निचली अदालत ने 10 वर्ष के कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। वर्ष 2019 में हाईकोर्ट ने पीड़िता को 1.5 लाख रुपये की चिकित्सा प्रतिपूर्ति दिलाए जाने के आदेश दिए थे। पीड़िता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस जघन्य अपराध की प्रतिपूर्ति सरकार से कराए जाने और उसे 50 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की मांग की।

सरकार व याची के अधिवक्ता ने यह रखा पक्ष
सरकार की ओर से यह पक्ष रखा गया कि याचिकाकर्ता को हर चीज का प्रमाण एक अलग फोरम पर देना चाहिए। हाईकोर्ट में सीधे रिट याचिका नहीं करनी चाहिए। ऐसे प्रकरण में लाभ देने से सभी लोग ऐसी प्रतिपूर्ति चाहेंगे। इसके जवाब में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि सरकार एक पीड़िता को उचित मुआवजा क्यों नहीं दे सकती। जबकि राजनीतिक मामलों में सरकार करोड़ों रुपये लुटा देती है। पीड़िता की इज्जत, जीवन यापन के लिए उसे प्रतिपूर्ति दिया जाना चाहिए