उत्तराखंड के विकासनगर में अवैध खनन के कारोबार में दिल्ली का सिंडिकेट एक्टिव,जमकर चल रहा गुलाबी पर्ची का खेल, देखिए वीडियो मिलेगा पक्का सबूत….

देहरादून: विकासनगर में अवैध खनन के कारोबार में दिल्ली का सिंडिकेट एक्टिव,जमकर चल रहा गुलाबी पर्ची का खेल प्रतिबंध के बावजूद हिमाचल प्रदेश से दिन में यमुना नदी के रास्ते ढालीपुर से तो रात में कुल्हाल पुल से निकाले जा रहे सैकड़ों डंफर।

सूत्रों का दावा ओवरलोड के महाघोटाले में चोरी का प्रतिबंधित उपखनिज पास कराने के एवज में प्रत्येक डंफर से वसूले जा रहे सात हजार रुपये, सात हजार रुपये लेकर सिंडिकेट दे रहा गुलाबी पर्ची जो डंफर की सुरक्षा की है गारंटी, अवैध खनन के महाघोटाले में राज्य सरकार को राजस्व का लगाया जा रहा‌ करोड़ों का चूना।

कुल्हाल, धर्मावाला, हर्बटपुर, सहसपुर, सेलाकुई, शिमला बाइपास से लेकर पूरे देहरादून तक तमाम चौकी थाने व वन चैकपोस्ट स्थापित हैं लेकिन मजाल है किसी कि अगर कोई अवैध उपखनिज से लदे एक वाहन पर भी कार्यवाई कर दे। जबकि न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए प्रतिबंधित धुली बजरी के अवैध खनन का ये खेल रात में हिमाचल प्रदेश से पोंटा कुल्हाल चैकपोस्ट होते हुए खुल्लम खुल्ला खेला जा रहा है तो वहीं दिन दहाडे हिमाचल प्रदेश से यमुना नदी पार कर डंपर ढालीपुर पहुँच रहे हैं जिन्हे रात में निकाला जाता है।

जबकि यमुना नदी में अभी खनन पट्टे बंद हैं। सारा उपखनिज अवैध रूप से हिमाचल प्रदेश से उत्तराखण्ड में लाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो लगभग पाँच सौ डंफर देहरादून या अन्य जगहों पर पहुँचाये जा रहे हैं जिनसे एक दिन में ओवरलोड में डंफर चलाने का लगभग 35 लाख रूपये का अवैध कलेक्शन सिंडिकेट द्वारा वसूला जा रहा है।

प्रत्येक डंफर वाला अवैध खनन का सिंडिकेट को सात हजार रुपये देता है जिसके बदले में उस डंफर वाले को सिंडिकेट एक गुलाबी रंग की पर्ची देता है जिसे दिखाकर डंफर वाले धड़ल्ले से अपने डंफर दौड़ा रहे हैं जो गुलाबी पर्ची दिखाते हैं फिर उन्हें कोई कहीं नहीं रोकता निजि तौर पर तैयार की गई ये गुलाबी पर्ची एक किस्म का पास है जो डंफर को सिंडिकेट का डंफर होने की पहचान देता है।

जिसे दिखाकर डंफर पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता। सूत्रों की मानें‌ तो असल में ये डंफर ओवरलोड उपखनिज का काम करने के लिये सात हजार रुपये दे रहे हैं सारा खेल ओवरलोड के महाघोटाले का है सात हजार रुपये दिये जाते हैं गुलाबी पर्ची ली जाती है और आसानी से डंफर अपने अपने गंतव्य तक बेरोकटोक पहुँच जाते हैं।

अब मैनेजमेंट के नाम‌ पर लाखों रूपये का ये चढ़ावा किस किस की जेब में जा रहा है ये सवाल बना हुआ है। हालांकि अंतर्राज्यीय सीमा के कुल्हाल चैकपोस्ट पर वन कर्मचारी और पुलिस वाहनों को चैक करने की औपचारिकता करते देखे जाते हैं और ढालीपुर में भी पुलिस कर्मी बैठते हैं लेकिन कार्यवाई शून्य है। जबकि जगजाहिर है इन वाहनों में प्रतिबंधित धुली बजरी को ही खुल्लम खुल्ला परिवहन किया जा रहा।

सवाल यह कि किसके संरक्षण में इतना बड़े स्तर पर अवैध खनन और ओवरलोड का ये खेल खेला जा रहा है? कौन कौन इसमें शामिल है? अवैध खनन के गंदे धंधे में विकासनगर के वो कौन बंदे हैं जिन्होंने दिल्ली के लोगों की विकासनगर में एंट्री करा दी और दिल्ली के सिंडिकेट को पर्दे के आगे कर खुद पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं?

या रात के अंधेरे में कोई धड़ा विशेष सरकार और भाजपा संगठन की साख पर बट्टा लगा रहा है? उगाही का काम कौन कर रहा है किसे कहां कितना मिल रहा है? विकासनगर में ऐसे कौन से धुरंधर हो गये जो धामी सरकार की नाक के नीचे इतना बड़ा सिंडिकेट चलवा रहे हैं? और सबसे बड़ा सवाल यह की भाजपा संगठन क्या कर रहा है या विकासनगर में हाथ डालने से भाजपा संगठन भी डरता है? इस तरह के तमाम सवाल बहरहाल पछवादून की सड़को से खड़े हो रहे हैं?