लगता इस बार गौला नदी से उपखनिज चुगान लक्ष्य से काफी पहले हो सकता है बंद…..

रामपुर : बरेली व रामपुर रोड के सभी स्टोन क्रेशर में उप खनिज बिक्री नहीं होने का हवाला देते हुए गौला नदी से उपखनिज खरीदने पर असमर्थता जताते हुए नोटिस चस्पा कर दिए है। जिसके बाद गौला नदी के मानसून सत्र से पहले ही बंद होने के आसार दिखाई दे रहे है।

बरेली व रामपुर रोड के सभी स्टोन क्रशर स्वामियों ने गौला नदी से उपखनिज नही खरीदने का नोटिस चस्पा कर दिया है। क्रशर स्वामियों के इस निर्णय के बाद गौला नदी उपखनिज चुगान के लक्ष्य से काफी पहले बंद होने के संकेत दे रही है। जिससे सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का घाटा होने के साथ ही गौला नदी से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लाखो कारोबारी व मजदूर समय से पहले ही बेरोजगार हो गए है।

शनिवार को बरेली व रामपुर रोड के सभी स्टोन क्रेशर में उप खनिज बिक्री नहीं होने का हवाला देते हुए गौला नदी से उपखनिज खरीदने पर असमर्थता जताते हुए नोटिस चस्पा कर दिए है। जिसके बाद गौला नदी के मानसून सत्र से पहले ही बंद होने के आसार दिखाई दे रहे है। जिसकारण गौला नदी के करीब साढ़े सात हजार वाहनों के पहिए थम गए हैं।

जबकि गौला नदी में बाहरी प्रदेशों से आने वाले हजारों मजदूरों के साथ ही प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से खनन कारोबार से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। इसके अलावा सरकार को भी राजस्व में भारी नुकसान हुआ है। कुमाऊं स्टोन क्रशर एसोशिएसन के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने बताया कि क्रशर स्वामी बिक्री नही होने के आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे है। जिसकारण क्रशर स्वामियों ने उपखनिज नही खरीदने का निर्णय लिया है।रायल्टी की असमानता को लेकर कार्ट की शरण में जाएंगे खनन कारोबारी।

गौला व नंदौर नदी में रायल्टी में असमानता के चलते जनपद का खनन कारोबार लड़खड़ा गया है। सरकार द्वारा समतली करण के साथ अन्य माध्यमों से उपखनिज निकालने पर करीब आठ रुपए क्विंटल की रायल्टी ली जाती है। जबकि गौला, नंदौर व अन्य नदियों से चुगान पर करीब रायल्टी व अन्य खर्चे मिलाकर करीब 30 रुपए क्विंटल का राजस्व लिया जाता है।

जिस कारण यहा का रेता बजरी का काराबार सिमटता जा रहा है। इधर रायल्टी में असमानता को लेकर खनन कारोबार न्यायालय की शरण में जाने पर विचार कर रहे है। खनन व्यवसाई इंदर बिष्ट व रमेश जोशी ने बताया कि जल्द ही खनन कारोबारी आपस में विचार करके कार्ट में शरण में जाएंगे।33 करोड़ रुपए के राजस्व का होगा नुकसान।

इस बार केंद्रीय मृदा व जल संरक्षण संस्थान द्वारा गौला नदी में 38.24 लाख घनमीटर उपखनिज चुगान का लक्ष्य दिया था, जिसमें से अभी तक 33.39 लाख घन मीटर उपखिज चुगान ही हो पाया है। जबकि 4.85 लाख घन मीटर चुगान का लक्ष्य अभी भी बचा है।

ऐसे में अगर अब उपखनिज का चुगान नही होता है तो सरकार को करीब 33 करोड़ रुपए के राजस्व के नुकसान होगा। गौला नदी से इस बार अब तक करीब सवा दो अरब रुपए का राजस्व प्राप्त हुआं है। जिसमें से करीब एक अरब 64 लाख रुपए सरकार के खाते में गए है। बांकि रुपए रोड टेक्स व अन्य मदों में जाता है।