उत्तराखंड में सरकार से नहीं DGP से ज्यादा नाराज लग रहें कांग्रेसी, अब उठाया ये कदम, करन माहरा हो रहें फुल फायर….

देहरादून: उत्तराखंड में धरना-प्रदर्शन के दौरान नियमों का उल्लंघन होने पर आंदोलनकारियों से सख्ती से निपटने के निर्देश देने पर कांग्रेस ने डीजीपी अशोक कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने दो टूक कहा कि नियमों का उल्लंघन करने में यदि किसी के खिलाफ मुकदमा होता है तो सबसे पहले डीजीपी के खिलाफ ही होना चाहिए।

अंकिता भंडारी हत्याकांड में डीजीपी ने अंकिता के पिता से फोन पर बात करने के बाद किस कानून के तहत फोन की रिकार्डिंग सोशल मीडिया पर अपलोड की थी? मंगलवार को राजीव भवन में मीडिया से बातचीत में करन ने पुलिस अफसरों पर तीखे सवाल दागे। मालूम हो कि सोमवार को देहरादून पुलिस की समीक्षा बैठक में बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई थी।साथ ही दून में होने वाले विरोध-प्रदर्शनों के दौरान नियमों के उल्लंघन पर गिरफ्तारी तक करने के निर्देश दिए हैं।

राजीव भवन में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धाजंलि देने के बाद मीडिया से रूबरू माहरा ने कहा कि वर्तमान में पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था से उतर चुकी है। मित्र पुलिस होने का दावा करने वाले पुलिस के अफसर अपराधियों के दोस्त बने हुए हैं।

इसलिए अपराधियों के खिलाफ तो कार्रवाई की नहीं जा रही, इसलिए आम आदमी का उत्पीड़न की कोशिश की जा रही है। आम पुलिस अधिकारी और कर्मी अपनी जान दाँव पर लगाकर काम करते हैं, लेकिन ऐसे अफसरों की वजह से उनका मनोबल भी टूट रहा है। माहरा ने चुनौती देते हुए कहा कि यदि धरना-प्रदर्शन करने पर मुकदमा और जेल भेजना है तो सबसे मैं खुद गिरफ्तारी दूंगा।मैंने कई बार सीएम से डीजीपी को पद से हटाने की मांग की है। सीएम को चाहिए कि तत्काल कार्रवाई करे। वर्ना कांग्रेस आंदोलन को मजबूर होगी।

करन माहरा, प्रदेश अध्यक्ष-कांग्रेसकांग्रेस ने डीजीपी के खिलाफ एफआईआर को।

एसएसपी को भेजा पत्र कांग्रेस ने पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड एवं अंकि भंडारी के पिता के बीच दूरभाष पर हुई बातचीत के सोशल मीडिया में वायरल करने के लिए पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। प्रदेश महामंत्री विजय सारस्वत ने मंगलवार शाम इस बाबत फूंके एसएसपी को पत्र भेजा। सारस्वत ने पत्र में लिखा है कि प्रदेश के डीजीपी पुलिस महानिदेशक जैसे पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा जानबूझकर बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल कर निजता के अधिकार/कानून का उल्लंघन किया जाना गंभीर विषय है।

बिना पीडिता के पिता को विश्वास में लिये सोशल

मीडिया में सार्वजनिक किया जाना आईटी एक्ट के

अन्तर्गत निषिद्ध ही नहीं अपितु निजता के अधिकार का

भी हनन है। इस बातचीत के सोशल मीडिया में

सार्वजनिक होने से इस जघन्य हत्याकांड के मामले को

प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।