उत्तराखंड की राजधानी के दून अस्पताल में छुट्टी को लेकर हुआ विवाद, ओपीडी में घुसकर विभागाध्यक्ष ने असिस्टेंट प्रोफेसर को पीटा…….
देहरादून: बड़े डॉक्टर साहब को छुट्टी जाना था, चार्ज छोटे को देकर जाना था, लेकिन चार्ज लेने छोटे डॉक्टर उनके पास नहीं आए। फिर क्या था अब तो बड़े डॉक्टर साहब की ठनक गई। बड़े डॉक्टर साहब छोटे के कमरे में एकाएक घुसे और मरीजों के सामने ही उनकी धुनाई कर डाली।
छोटे डॉक्टर साहब गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन बड़े पीटते रहे। क्षुब्ध होकर अब छोटे डाॅक्टर साहब ने इस्तीफे का मन बना लिया है। दून अस्पताल में हुए इस हाईवोल्टेज ड्रामे का अंत हो इसके लिए पीड़ित डॉक्टर एमएस के पास पहुंचे। लेकिन, वहां भी उनकी नहीं सुनी गई। आरोप है कि एमएस साहब ने भी उन्हें नोटिस देने की बात कह दी।
शनिवार को दून अस्पताल के कैंसर रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शशांक जोशी ने विभागाध्यक्ष डॉ. दौलत सिंह पर ओपीडी में घुसकर पीटने का आराेप लगाया है। आरोप है कि वे ओपीडी में मरीजों को देख रहे थे, इस दौरान डॉ. दौलत सिंह ओपीडी में आए और एकाएक उनका गिरेवान पकड़ लिया और अपनी ओर खींचते हुए जमकर थप्पड़ मार दिया।
इस दौरान वहां मौके पर कई स्वास्थ्य कर्मी और मरीज मौजूद थे। चूंकि घटना सार्वजनिक थी, ऐसे में पीड़ित डॉक्टर काफी आहत हुए और मानसिक पीड़ा का शिकार हो गए। इतना ही नहीं उनको मानसिक रोग विभाग की ओपीडी में जाकर चिकित्सक से दवा लेनी पड़ी। अब चिकित्सक ने इस्तीफा देने की पेशकश की है।
डॉ. शशांक जोशी के मुताबिक कुछ महीने पूर्व उन्होंने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अस्पताल प्रबंधन से लिखित में शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने विभागाध्यक्ष पर टॉर्चर करने का आरोप लगाया था। आरोप है कि इस पर अस्पताल प्रबंधन ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है। पीड़ित डॉक्टर का कहना है कि जब से उन्होंने अस्पताल में कार्यभार संभाला है, तभी से मानसिक पीड़ा से जूझ रहे हैं। ऐसे में मरीजों का उपचार करना खासा मुश्किल हो रहा है।
डॉ. दौलत सिंह, विभागाध्यक्ष कैंसर रोग, दून अस्पताल
शुक्रवार को तकनीशियन के माध्यम से छुट्टी के प्रार्थनापत्र को डॉक्टर शशांक के पास भेजा गया था, लेकिन वे उस पर बिना साइन किए ही ओपीडी से चले गए। इसके अगले दिन भी जब उन्होंने साइन नहीं किए, तो वे खुद उनकी ओपीडी में गए और इसके पीछे का कारण पूछा, इस पर वे भड़क गए।
डॉ. गीता जैन, प्राचार्य, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज
दोनों चिकित्सकों के पक्ष को सुना गया है। इस पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। फिलहाल दोनों चिकित्सकों की इकाइयों को बदल दिया गया है।