अब भारत सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों (KV) के सभी कोटे किए समाप्त, अब खाली होंगी 40,000 सीटें…..
दिल्ली : केन्द्रीय विद्यालयों (KV) में 40,000 सीटें को मुक्त करने के एक बड़े फैसले में सरकार ने केंद्रीय वित्त पोषित वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में “कोटा राज” को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया है. सांसदों, सरकारी अधिकारियों और केंद्रीय विद्यालय संगठन के इन विशेषाधिकारों को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है. केंद्र सरकार ने कोविड -19 महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों को पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत मुफ्त दाखिला देने का भी निर्णय लिया है।
यह विवेकाधीन कोटा पिछले महीने की शुरुआत में ही रोक दिया गया था और शिक्षा मंत्रालय की ओर से इसकी समीक्षा भी की गई थी. इस कोटे को रद्द करने का फैसला सोमवार को लिया गया था।
बता दें कि इन सभी आरक्षणों को बंद करने का एक कारण यह भी है कि इसने स्कूलों में एससी, एसटी व ओबीसी कैटेगरी के आरक्षणों को पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया है. साथ ही सरकार का यह भी मानना है कि इस विशेष विशेषाधिकार को खत्म करने से कक्षाओं में बढ़ती भीड़ को रोकने में मदद मिलेगी।
शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार छात्रों के दाखिले के लिए आरक्षण केवल अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और विकलांग बच्चों के लिए बढ़ाया जाएगा. बता दें कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए दाखिले की प्रक्रिया जून 2022 तक चलेगी।
लोकसभा में कुल 543 सांसद होते है. वहीं राज्यसभा में 245 सांसद. इन सांसदों की तरफ से सामूहिक रूप से विवेकाधीन कोटा के तहत हर साल 7,880 सीटों पर छात्रों के दाखिले के लिए सिफारिश की जाती थी।
जिन विशेष प्रावधानों को बरकरार रखा गया है उनमें परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र प्राप्त करने वालों के बच्चों को केन्द्रीय विद्यालयों में दाखिला देया जाएगा. वहीं राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के प्राप्तकर्ता, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के कर्मचारियों के 15 बच्चे, कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चे, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चे जिनकी मृत्यु हो गई है और ललित कला में विशेष प्रतिभा दिखाने वाले बच्चों को भी इस विशेष प्रावधान में शामिल किया गया है।
केंद्र सरकार के अनुसार केवीएस के कामकाज की समीक्षा शिक्षा मंत्री और केवीएस के अध्यक्ष की ओर से की गई थी. इसमें देखा गया है कि इन कोटे के कारण कक्षाओं में भीड़ होती है, जिससे छात्र और शिक्षक के अनुपात की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।
वहीं केंद्र सरकार के स्थानांतरित कर्मचारियों के बच्चे , जिन्हें प्रवेश में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, उन्हें भी केवी में अपना सही स्थान नहीं मिल पा रहा था।
इसी कारण से शिक्षा मंत्रालय, प्रायोजक एजेंसी व सांसदों आदि के विवेकाधीन कोटा को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है. साथ ही प्रायोजक एजेंसियों और जिला कलेक्टरों के कोटा के तहत हजारों प्रवेश के प्रावधान थे, जिन्हें अब भी बंद कर दिया गया है. यह देश भर के केन्द्रीय विद्यालयों में लगभग 40,000 सीटें खाली कर देगा।