ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर साधा ये निशाना……
देहरादून: उत्तराखंड में ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर राजनीतिक रूप से सुविधाजनक रुख अपनाने का आरोप लगाया है। अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार को मंदिरों के जीर्णोद्धार पर भागवत के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि जब उन्हें सत्ता चाहिए थी, तब वे मंदिरों के बारे में बोलते रहे। अब जब उनके पास सत्ता है, तो वे मंदिरों की तलाश न करने की सलाह दे रहे हैं।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अतीत में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए गए मंदिरों की एक सूची तैयार की जाए और हिंदू गौरव को बहाल करने के लिए संरचनाओं का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया जाए। इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख भागवत ने हाल ही में कहा था कि यह स्वीकार्य नहीं है कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद नए मंदिर-मस्जिद विवाद खड़े किए जाएं।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अतीत में हिंदुओं पर बहुत अत्याचार हुए हैं। उनके धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया गया है। अगर अब हिंदू समाज अपने मंदिरों का जीर्णोद्धार और संरक्षण करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है ?
शंकराचार्य ने संसद में बीआर अंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की भी आलोचना की, जिससे सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के बीच बड़ा विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बचाव करते हुए अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि संसद के बाहर झड़प अमित शाह की अंबेडकर पर टिप्पणी के कारण हुई। उन्होंने कहा कि अंबेडकर की विचारधारा का समर्थन करने वाले बहुत सारे लोग हैं। इसलिए हर कोई उनके नाम का इस्तेमाल अपनी राजनीति के लिए कर रहा है।
बता दें कि राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान अंबेडकर के संदर्भ में की गई एक टिप्पणी को लेकर शाह मंगलवार से कई विपक्षी दलों के निशाने पर हैं। हालांकि शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने और उनकी टिप्पणियों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया।
अविमुक्तेश्वरानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर कथित अत्याचार की भी निंदा की। कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में रह रहे बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को वापस भेजा जाना चाहिए। उन्होंने इस मामले पर कार्रवाई की कमी का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में नए मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उभरने पर चिंता व्यक्त की थी। कहा था कि अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ व्यक्तियों का मानना है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं।