उत्तराखंड में अगर आपके भी खाली प्लॉट में भरा है पानी तो फौरन करवाएं खाली, वरना देना होगा भारी-भरकम जुर्माना…..
देहरादून: मानसून के दस्तक के साथ ही उत्तराखंड में बारिश का दौर जारी है। वहीं कुछ इलाकों में तो भारी बारिश ने तबाही मचा रखी है। इसके साथ ही जगह-जगह जलभराव होने के कारण खतरनाक जीव और मच्छरों के पनपने का भी खतरा रहता है। इसी के मद्देनजर अब नगर निगम खाली जगहों या खाली प्लॉटों में भरे पानी को लेकर सख्त हो गई है।
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में खाली प्लॉट डेंगू को न्योता दे रहे हैं। वर्षा के पानी से तालाब बने ये प्लॉट डेंगू मच्छर का लार्वा पनपाने में मददगार बने हैं। नगर निगम की ओर से ऐसे प्लॉट स्वामियों पर भारी-भरकम जुर्माना लगाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन इन प्लॉट स्वामियों का पता-ठिकाना ढूंढना निगम के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।
डेंगू की रोकथाम को अलर्ट नगर निगम जलजमाव वाले स्थानों पर लार्वानाशक का छिड़काव तो कर रहा है, लेकिन घरों, प्रतिष्ठानों और खाली प्लॉट में जमा पानी में पनप रहे लार्वा को नष्ट करने में निगम को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
2500 से अधिक प्लाट में जमे पानी में पाया जा रहा डेंगू का लार्वा
निगम की ओर से शहर में खाली प्लॉट में भी डेंगू मच्छर के लार्वा की जांच की जा रही है। शहर के विभिन्न वार्डों में 2,500 से अधिक प्लॉट ऐसे हैं, जिनमें पानी जमा है। इनमें से कई प्लॉट में डेंगू मच्छर का लार्वा पाया जा रहा है। जिस पर निगम की ओर से कार्रवाई भी की जा रही है, लेकिन कई प्लॉट के स्वामियों का पता नहीं चल पा रहा है।
डेंगू का लार्वा सर्वाधिक धर्मपुर, अजबपुर कलां, कारगी, बंजारावाला, मोथरोवाला, देहराखास, विद्या विहार, मेहूंवाला, बड़ोवाला, माजरा, हरिद्वार बाईपास से सटे प्लाट, सहस्रधारा रोड, मोहब्बेवाला, चंद्रबनी आदि क्षेत्रों में मिल रहा है। इन क्षेत्रों में प्लाट की संख्या अधिक है।
मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. अविनाश खन्ना ने बताया कि लार्वा पाए जाने पर प्लॉट स्वामी का 20 हजार रुपये तक का चालान करने की व्यवस्था है।
विदेश में रहने वाले प्लॉट स्वामियों से कैसे वसूलेंगे जुर्माना।
दून में बड़ी संख्या में ऐसे प्लॉट हैं, जिनके मालिक अन्य राज्यों या विदेश में रहते हैं। उनके देहरादून आने का नगर निगम को पता नहीं है, ऐसे में उनके प्लॉट में लार्वा पाए जाने पर नगर निगम चालान कर जुर्माना कैसे वसूलेगा, यह बड़ा सवाल बना है। बीते वर्षों में भी इस प्रकार की समस्या आई थी। न तो कोई अपने प्लाट में सफाई कराता है और न ही जमा पानी की निकासी कराई जाती है।