उत्तराखंड में सीएम धामी के ताबड़तोड़ एक्शन से महीने भर पुरानी अधिसूचना को फटाफट कर दिया संशोधित, नौकरशाही की हालत खराब…..

देहरादून: सीएम धामी के ताबड़तोड़ एक्शन से महीने भर पुरानी अधिसूचना को फटाफट कर दिया संशोधित,देखें दोनों अधिसूचना। तो डॉ के के पांडे को नियमों का उल्लंघन कर राष्ट्रीय आयुष मिशन का निदेशक बनाना गया था।

आयुष विभाग ने एक महीने पुराना राष्ट्रीय आयुष मिशन निदेशक की अधिसूचना में संशोधन से उठे सवाल। 16 जून की अधिसूचना 12 जुलाई को संशोधित कर डॉ के के पांडे को निदेशक की जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए समन्वयक के पद पर बैठाया।

देहरादून। आयुष व वित्त विभाग में जारी घच पच का खुलासा होने के बाद सीएम धामी के चले डंडे के बाद नौकरशाही में हड़कंप मचा हुआ है। और गुपचुप ढंग से पुराने आदेश संशोधित किये जा रहे हैं।

आयुर्वेद विवि के कुलपति डॉ जोशी को हटाने वाले अहम दिन 12 जुलाई को एक महीने पुराना आदेश बेहद शांति के साथ संशोधित कर नया आदेश जारी कर दिया।

खास बात तो यह है कि सीएम धामी के महकमे आयुष विभाग में ही बुधवार को यह चमत्कार किया गया। किसी को कानों कान खबर नहीं हुई। और न ही यह आदेश मीडिया को दिया गया।

अब इस संशोधन के बाद सवाल उठना लाजिमी है कि लगभग एक महीने पहले 16 जून को डॉ के के पांडेय को राष्ट्रीय आयुष मिशन का निदेशक बनाया जाना सही फैसला था या फिर 12 जुलाई को हुए नयी संशोधित अधिसूचना में उन्हें समन्वयक, राष्ट्रीय आयुष मिशन बनाया जाना गलती को सुधारना माना जाय।

इधर, सूत्रों का कहना है कि मिशन निदेशक तो डायरेक्टर आयुर्वेद या आईएएस अधिकारी होता है। लेकिन 16 जून को मेडिकल अफसर डॉ के के पांडेय को यह जिम्मेदारी दी दी गयी। जबकि आईएएस डीएम सोनिका दून आयुष मिशन की पदेन निदेशक थी।

आयुष सचिव पंकज पांडेय ही इस मामले में जवाब दे सकते हैं। सवाल यह भी है कि अपर सचिव विजय जोगदंड की ओर से जारी संशोधित अधिसूचना को जारी करने से पहले सीएम धामी के संज्ञान में यह मुद्दा लाया गया। या फिर सीएम को अंधेरे में रख भूल सुधार करते हुए संशोधित अधिसूचना जारी कर दी गयी

कहानी कुछ ऐसे घूमी- 16 जून को अपर सचिव विजय जोगदंड की ओर से जारी अधिसूचना में आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी डॉ के के पांडेय को नैनीताल से देहरादून निदेशालय ट्रांसफर कर राष्ट्रीय आयुष मिशन के निदेशक व सहायक ड्रग कंट्रोलर की जिम्मेदारी दी गयी। इससे पूर्व तक जिलाधिकारी देहरादून के पास राष्ट्रीय आयुष मिशन निदेशक का पदेन प्रभार था।

इस बीच, बीते तीन दिनों से वित्त व आयुष विभाग पर हो रहे सीएम के एक्शन से घबराकर डॉ के के पांडे की निदेशक नेशनल आयुष मिशन की नियुक्ति अधिसूचना को संशोधित कर जिलाधिकारी देहरादून को वापस कर दिया गया है।

डॉ के के पांडे को आयुर्वेद निदेशालय में मानकों के विपरीत अपर ड्रग कंट्रोलर उत्तराखंड भी बनाया गया है। सूत्रों का कहना है कि अपर ड्रग कंट्रोलर संयुक्त निदेशक/जिला आयुर्वेद अधिकारी में से बनाया जाता है जबकि डॉ के के पांडे केवल मेडिकल ऑफिसर ही है। अब देखना होगा कि यह अपर ड्रग कंट्रोलर की नियुक्ति कब संशोधित की जाती है।

गौरतलब है कि बीते साल डॉ निधि उनियाल प्रकरण में मुख्यमंत्री धामी ने दो घंटों में ही सचिव चिकित्सा डॉ पंकज पांडे को हटा कर सख्त फैसला लेकर नौकरशाही को संदेश दिया था।

साथ ही अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को मामले की जांच सौंपी थी। जांच में क्या हुआ ,यह भी साफ नहीं हो पाया लेकिन डॉ निधि उनियाल सरकारी नौकरी छोड़ गईं।

डॉ० डी०डी० बधानी के सेवानिवृत्त होने के दृष्टिगत सहायक औषधि नियंत्रक के कार्यों एवं दायित्वों के निष्पादन हेतु डॉ0 के0के0 पाण्डेय, चिकित्साधिकारी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, नयेली, नैनीताल को जनहित एवं कार्यहित में आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवायें, निदेशालय, देहरादून में स्थानान्तरित करते हुए सहायक औषधि नियंत्रक एवं मिशन निदेशक, राष्ट्रीय आयुष मिशन के पद पर तैनात किये जाने की श्री राज्यपाल महोदय सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते हैं।

डॉ० के0के0 पाण्डेय, चिकित्साधिकारी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, नयेली, नैनीताल को जनहित एवं कार्यहित में आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवायें, निदेशालय, देहरादून में स्थानान्तरित करते हुए सहायक औषधि नियंत्रक एवं मिशन निदेशक, राष्ट्रीय आयुष मिशन के पद पर तैनात किया गया था।

उक्त अधिसूचना दिनांक 16.06.2023 में आंशिक संशोधन करते हुए डॉ० के०के० पाण्डेय को मिशन निदेशक, राष्ट्रीय आयुष मिशन के स्थान पर समन्वयक, राष्ट्रीय आयुष मिशन के रूप में तैनात किया जाता है। डॉ० पाण्डेय को समन्वयक, राष्ट्रीय आयुष मिशन के अतिरिक्त दायित्व हेतु कोई वेतन एवं अन्य भत्ते आदि देय नहीं होगें।

अधिसूचना संख्या-915/XL-1/2023-18/2004 दिनांक 16.06.2023 को इस सीमा तक संशोधित समझा व पढ़ा जाय। अधिसूचना दिनांक 16.06.2023 में उल्लिखित शेष शर्तें यथावत् रहेंगी । (डॉ० विजय कुमार जोगदण्डे)