उत्तराखंड के पौड़ी में बढ़ते खतरे पर सियासी हलचल, विधायक बोले समाधान नहीं मिला तो पद छोड़ दूंगा………
देहरादून: उत्तराखंड के कई पर्वतीय क्षेत्रों में वन्यजीवों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन हालात नियंत्रित करने में वन विभाग अब तक कारगर रणनीति तैयार नहीं कर पाया है। पौड़ी जिले के लैंसडाउन क्षेत्र में बाघ का आतंक पिछले कई महीनों से ग्रामीणों को दहशत में जीने पर मजबूर कर रहा है। ताज़ा घटना में एक महिला की बाघ के हमले में मौत हो गई, जिसके बाद पूरे इलाके में तनाव और आक्रोश का माहौल है।
विधायक दिलीप रावत पहुंचे गांव, पीड़ित परिवार से मुलाकात में छलका गुस्सा। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय विधायक दिलीप रावत प्रभावित गांव पहुंचे और शोकाकुल परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की। इस दौरान उनका आक्रोश स्पष्ट तौर पर सामने आया।
उन्होंने आरोप लगाया कि वन्यजीवों द्वारा लगातार किए जा रहे हमलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा और न ही सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं।
विधायक का कहना था कि यदि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हुई और उनकी बातों को अनसुना किया जाता रहा, तो वे इस्तीफा देने पर भी विचार कर सकते हैं।
11 साल से सड़क निर्माण लंबित, जंगल से होकर गुजरने को मजबूर ग्रामीण
रावत ने बताया कि जिस क्षेत्र में यह दर्दनाक घटना हुई, वहां पुल तो बना दिया गया है, लेकिन उससे जुड़ने वाली सड़क का निर्माण 11 साल से अटका हुआ है। सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को जंगल के रास्तों से गुजरना पड़ता है, जिससे वन्यजीव हमलों का खतरा और बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को कई बार विधानसभा और सरकार दोनों के समक्ष रख चुके हैं, लेकिन अब तक किसी निर्णायक समाधान पर पहुंचा नहीं गया।
कैसे हुआ हमला: बहू से कुछ कदम दूर ही बाघ ने ली 60 वर्षीय महिला की जान।
जयहरीखाल ब्लॉक के सिरोबाड़ी गांव में शुक्रवार देर शाम 60 वर्षीय उर्मिला देवी अपनी बहू प्रिया के साथ घर के पास मवेशियों के लिए चारापत्ती काटने गई थीं।
इसी बीच बच्चे के रोने की आवाज सुनकर बहू घर लौट आई, जबकि उर्मिला देवी वहीं काम करती रहीं।
इसी दौरान झाड़ियों में छिपे बाघ ने अचानक उन पर हमला कर दिया और उन्हें लगभग 50 मीटर दूर घसीट ले गया।
जब काफी देर हो जाने पर प्रिया वापस खेत में पहुंची, तो सास का कहीं पता न चलने पर उसने आसपास तलाश शुरू की। थोड़ी दूरी पर उसे उर्मिला देवी का शव मिला—और सामने बैठा बाघ भी दिखाई दिया। उसकी चीखें सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे, जिसके बाद बाघ जंगल की ओर भाग गया।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, कहा—हर बार घटना के बाद आती है टीम।
घटना की सूचना पाकर कालागढ़ टाइगर रिज़र्व की टीम और स्थानीय विधायक मौके पर पहुंचे। महिला का शव ग्रामीणों की मदद से घर पहुंचाया गया।
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग हर बार घटना के बाद पहुंच जाता है, लेकिन स्थिति को स्थायी रूप से सुधारने के लिए कोई बेहतर व्यवस्था नहीं की गई।
विधायक की कड़ी मांग—बाघ को मारने की अनुमति और त्वरित सुरक्षा व्यवस्था
रावत ने स्पष्ट कहा कि पूरी विधानसभा कालागढ़ वन प्रभाग से सटी है और लोग रोज़ अपनी जान जोखिम में डालकर खेत, स्कूल, पानी के स्रोत और जंगल के रास्तों से गुजर रहे हैं।
उन्होंने सरकार से तत्काल बाघ को पकड़ने या आवश्यक होने पर उसे मारने की अनुमति देने और क्षेत्र में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था लागू करने की मांग की है।
उनका कहना था कि यदि वन अधिनियम में उत्तराखंड की परिस्थितियों के अनुरूप आवश्यक संशोधन नहीं किए गए और 11 साल से अटकी सड़क का निर्माण तुरंत शुरू नहीं होता, तो वे मजबूर होकर इस्तीफा दे देंगे।

