अब उत्तराखंड में देहरादून से दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर जल्द फर्राटा भरेंगे वाहन, सबसे पहले इस हिस्से को वाहनों के लिए खोल दिया जाएगा……

देहरादून: दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे पर जल्द ही वाहन फर्राटा भरेंगे। सबकुछ ठीक रहा तो दिसंबर के आखिर तक एक्सप्रेस-वे को गागलहेड़ी से डाॅट काली माता मंदिर तक के 42 किमी हिस्से को वाहनों के लिए खोल दिया जाएगा। इसमें शिवालिक पहाड़ियों के बीच से गुजरने वाला 12 किमी लंबा एलिवेटेड रोड भी है। इससे जहां दून पहाड़ियों में हाईवे पर आए दिन लगने वाले जाम छुटकारा मिलेगा। वहीं यात्री प्रकृति के नजारों का भी आनंद ले सकेंगे।

दरअसल, वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे परियोजना को स्वीकृति दी थी। जनवरी 2021 से इस पर कार्य शुरू हो गया था। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा 13000 करोड़ रुपये की लागत से इस एक्सप्रेस-वे को दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से उत्तराखंड के आसारोडी तक बनाया जा रहा है। यह एक्सप्रेस-वे तीन राज्यों दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड की आर्थिक तरक्की में मील का पत्थर साबित होगा। अब इसका निर्माण अंतिम चरण में चल रहा है। इस एक्सप्रेस-वे का सबसे बड़ा आकर्षण गणेशपुर से आसारोडी तक 576 पिलरों पर बनाया गया 12 किमी लंबा एलिवेटेड रोड है। इसका निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है।

शिवालिक जंगल और राष्ट्रीय राजाजी पार्क के वन्य जीवों के संरक्षण के मद्देनजर इसे बनाया गया है। 210 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे का आखिरी चरण गागलहेड़ी से डाॅट काली माता मंदिर तक करीब 42 किमी लंबाई का है।

वन्यजीवों को परेशानी से बचाने को लगेंगे लाइट और साउंड बैरियर।
गणेशपुर से आसारोडी तक बनाया गया एलिवेटेड रोड एशिया का सबसे लंबा वन्य जीव गलियारा है। इस पर 100 किमी की रफ्तार से वाहन दौड़ेंगे और नीचे वन्य जीव विचरण करेंगे। वन्य जीवों को वाहनों की रोशनी और आवाज से परेशानी न हो, इसके लिए साउंड और लाइट बैरियर लगाए गए हैं। इस क्षेत्र में यात्रियों को मोबाइल कनेक्टिविटी दिलाने के लिए एलिवेटेड रोड के पिलरों पर टावर भी लगाए जाएंगे। देहरादून जनपद के हिस्से में इस एक्सप्रेस-वे पर हाथी और अन्य वन्य जीवाें के एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए अंडरपास भी दिए गए हैं।

 गागलहेड़ी से डाट काली मंदिर तक एक्सप्रेस वे और एलिवेटेड रोड का निर्माण कार्य अंतिम दौर में है। प्रयास है कि दिसंबर के आखिर तक कार्य पूरा कर यातायात शुरू कर दिया जाए। – प्रदीप गोंसाई, प्रोजक्ट डायरेक्टर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण