आइये जानते है पौष महीने में ये काम वर्जित, क्या करें कि बनी रहेगी ईश्वर कृपा; मिलेगी सुख और समृद्धि…….

देहरादून: पौष महीना की शुरुआत 5 दिसंबर 2025 से हो चुकी है। पौष महीना सूर्यदेव की उपासना, दान-पुण्य और तपस्या का पवित्र समय है। जानें धनुर्मास में क्या करें और किन कामों से बचें।

हिंदू परंपरा में पौष महीना सिर्फ एक तारीखों का दौर नहीं, बल्कि मन और जीवन को फिर से संवारने का मौका माना जाता है। इसे सूर्यदेव का विशेष काल कहा गया है, जहां अनुशासन, भक्ति और पवित्रता सबसे बड़ा धर्म बन जाते हैं। इस महीने को आत्मिक साफ-सफाई, ऊर्जा बढ़ाने और रोजमर्रा की जिंदगी में ताजगी लाने के समय के रूप में देखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष साल का दसवां महीना है और इसे सूर्यदेव की उपासना के लिए सबसे उत्तम समय बताया गया है। शास्त्रों में इस अवधि को ऐसा समय माना गया है जब तपस्या, संयम और सदाचार का फल कई गुना बढ़ जाता है। लोग इसे अपनी आदतें सुधारने, मन को शांत करने और आध्यात्मिक तौर पर मजबूत होने का उपयुक्त अवसर समझते हैं।

इस साल पौष कब से कब तक?
इस बार पौष महीने की शुरुआत 5 दिसंबर 2025 से हो रही है और यह 3 जनवरी 2026 तक चलेगा। इसी दौरान सूर्य अधिकतर समय धनु राशि में रहते हैं, इसलिए पौष को धनुर्मास भी कहा जाता है, एक ऐसा महीना जो उत्सवों से ज्यादा साधना और आत्मनिरीक्षण पर जोर देता है।

पौष में क्या न करें
इस महीने मांस, मदिरा और किसी भी तरह के नशे से दूर रहने की सलाह दी जाती है। पौष में खरमास भी आता है, जिसके दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते। साथ ही, माना जाता है कि इस दौरान कटु वाणी, गुस्सा, बुरे विचार और किसी का अपमान करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह महीना मन और व्यवहार को पवित्र रखने का होता है।

सुबह स्नान, दान और व्रत माना गया श्रेष्ठ
मान्यता है कि पौष में तड़के स्नान करना, जरूरतमंदों को दान देना, मन को स्थिर रखना और रोजमर्रा की बुरी आदतों से दूरी बनाना विशेष पुण्य देता है। इस दौरान लोग सूर्यदेव से स्वास्थ्य, ऊर्जा और सुख-शांति की कामना करते हैं। कई परिवार अपने पूर्वजों के लिए प्रार्थना करते हैं ताकि घर में शांति और आशीर्वाद बना रहे।

सूर्य और विष्णु दोनों की उपासना का समय
पौष में जहां सूर्य पूजा का विशेष महत्व है, वहीं भगवान विष्णु की आराधना भी शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि दोनों देवताओं की साथ में उपासना करने से घर में शांति, समृद्धि और मानसिक बल बढ़ता है। कई भक्त पूरे महीने के हर रविवार व्रत रखते हैं, क्योंकि रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित माना जाता है।

दान का बड़ा महत्व
पौष में तापमान कड़ाके का होता है, इसलिए इस महीने में गुड़, तिल, कंबल या गर्म कपड़े दान करना बेहद शुभ माना गया है। यह दान सिर्फ धार्मिक महत्ता नहीं रखता, बल्कि सर्दी से जूझ रहे जरूरतमंदों की मदद कर समाज में सकारात्मकता फैलाता है। सूर्य को जल चढ़ाना पौष का सबसे आवश्यक नियम है, और इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल बेहद शुभ माना गया है।