उत्तराखंड में संपत्ति कब्जाने का खेल खेल रहे भू-माफिया… मौत एक, मृत्यु के प्रमाण पत्र दो, पढ़ें पूरा मामला…….

देहरादून: जमीनों में उलझन बनाकर संपत्तियों को हड़पने का खेल माफिया राजधानी में खूब खेल रहे हैं। ऐसा ही एक और मामला प्रकाश में आया है।

राजधानी में संपत्तियों को हथियाने के अजब गजब खेल खेले जा रहे हैं। ताजा मामले में एक व्यक्ति की दो बार मौत दर्शा दी गई। असल में व्यक्ति की मौत अस्पताल में हुई, लेकिन दूसरे पक्ष ने संपत्ति हथियाने के लिए उसी व्यक्ति की मौत घर में दर्शाकर नगर निगम से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करा लिया, जबकि मृतक की बहन ने मौत के समय ही अस्पताल से मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया था। मामले में डीएम से कार्रवाई की मांग की गई है।

जमीनों में उलझन बनाकर संपत्तियों को हड़पने का खेल माफिया राजधानी में खूब खेल रहे हैं। ऐसा ही एक और मामला प्रकाश में आया है। पहले तो भू माफिया ने पीड़ितों पर सस्ते दामों पर जमीन को देने का दबाव बनाया, लेकिन जब काम नहीं बना तो पूरी कहानी तैयार कर दी गई। दरअसल, 15 जनवरी 2013 में विरेंद्र सिंह वर्मा पुत्र रामसुमिरन निवासी गांव हरबजवाला की करंट लगने से इलाज के दौरान कोरोनेशन अस्पताल में मौत हो गई थी। अस्पताल प्रबंधन ने इसका फरवरी 2013 में परिजनों को प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया। वहीं मामले में नया मोड़ तब आया जब मृतक विरेंद्र सिंह वर्मा की मौत के 11 साल बाद नगर निगम ने उनकी मौत घर पर होना दर्शाकर मृत्यु प्रमाण पत्र 2024 में जारी कर दिया। जबकि अस्पताल की ओर से विरेंद्र सिंह वर्मा की मौत अस्पताल में होना बताया गया है

मृतक की बहन अर्चना ने बताया कि दरअसल, वर्ष 2011 में भाई विरेंद्र सिंह वर्मा की शादी हुई थी। इसके कुछ सालों बाद ही पति-पत्नी में अनबन रहने लगी। पत्नी अपने माएके में रहने लगी। दोनों के बीच विवाद इस कदर बढ़ता गया की तलाक तक की नौबत आ गई। वहीं अचानक करंट लगने से भाई विरेंद्र सिंह वर्मा की मौत हो गई। अर्चना ने बताया कि भाई के अंतिम संस्कार में भी पत्नी ने खुद आई और न ही बेटे को आने दिया। वहीं अब संपत्ति में हक बताकर माफियाओं संग मिलकर खेल खेला जा रहा है। जबकि समस्त संपत्ति पिता रामसुमरिन के नाम है।

सस्ती कीमत पर नहीं मिली संपत्ति तो बुन ड़ाला जाल
अर्चना ने बताया कि पिता के पास करीब सावे छह बीघा खेती की जमीन और मकान है। कुछ खेती की जमीन भू माफियाओं की प्लॉटिंग के बीच आ रही है। फिलहाल इन्होंने इसका रास्ता रोक रखा है। पहले इसे कम कीमत पर खरीदने का प्रयास किया गया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो इन्होंने मृतक की पत्नी संग मिलकर पूरी कहानी बुन डाली। मृतक की पत्नी को साजिश में शामिल कर मुकदमा शुरू कराया गया और अब इसमें मृत्यु प्रमाण पत्र के दांव से उलझन खड़ी कर विवादित बनाने और जमीन बेचने का दबाव बनाया जा रहा है।

दूसरे वार्ड के पार्षद के पत्र के आधार पर नगर निगम ने जारी कर दिया प्रमाण पत्र
आरकेडिया ग्रांट के निवर्तमान पार्षद के पत्र के आधार पर निगम की ओर से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है। हालांकि प्रमाण पत्र में मौत की दिनांक तो सही बताई गई है, लेकिन स्थान गलत दर्शाया गया है। अर्चना ने बताया कि माफिया ने चंद्रबनी श्मशान घाट से मृतक के संस्कार की डुप्लीकेट रशीद के आधार पर गलत तथ्य दर्शाकर स्वास्थ्य विभाग से प्रमाण पत्र जारी करा लिया है। जबकि जिस पार्षद के पत्र के आधार पर प्रमाण पत्र जारी हुआ है वह मृतक के वार्ड से संबंधित ही नहीं है।

इस मामले में शिकायत प्राप्त हुई है, मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं, रिपोर्ट आते ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। :सविन बंसल, डीएम-देहरादून