उत्तराखंड में अब मीडिया में विज्ञापन को लेकर अब सरकार ने किया ये आदेश जारी देखिए….

देहरादून: कृपया उपरोक्त विषयक सूचना अनुभाग-01, उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना संख्या- 17 / XXII (1)/20217 (11) 2012. दिनांक 28 जनवरी, 2021 के माध्यम से प्रख्यापित “उत्तराखण्ड प्रिन्ट मीडिया विज्ञापन (संशोधन) नियमावली 2020 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके नियम-10 तथा नियम-15 है: (झ) में क्रमशः निम्नलिखित प्राविधान किया गया

नियम-10- ” प्रदेश के समस्त शासकीय विभागों के सजावटी विज्ञापन का प्रकाशन सूचना विभाग के महानिदेशालय (मुख्यालय) द्वारा किया जायेगा वर्गीकृत विज्ञापन का प्रकाशन सम्बन्धित विभागों द्वारा स्वयं कराया जायेगा अनियमित समाचार पत्रों को किसी भी दशा में विज्ञापन जारी नहीं किये जायेंगे तथा वर्गीकृत विज्ञापन उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 में उपबन्धित व्यवस्था के अन्तर्गत ही समाचार पत्रों में प्रकाशित किये जायेंगे।”

नियम – 15 (झ) – ” वर्गीकृत एवं सजावटी विज्ञापनों का भुगतान, सम्बन्धित विभागों द्वारा स्वयं वहन किया जायेगा परन्तु विशेष परिस्थितियों में सम्बन्धित विभाग के अनुरोध पर सूचना विभाग द्वारा सजावटी विज्ञापन का भुगतान किया जा सकता है।”

2. समान्यतया सजावटी शासकीय विज्ञापनों में सरकार की उपलब्धि योजनाओं एवं शिलान्यास जिसमें फोटो, लोगो, आर्ट वर्क, बड़ी शीर्ष पंक्ति, उपशीर्ष पंक्तियों, स्लोगन आदि एवं वर्गीकृत विज्ञापन में निर्माण कार्य वस्तुओं एवं सेवाओं की अधिप्राप्ति नीलामी आदि के टैण्डर नोटिस का समावेश होता है।

3. इस प्रकार उक्त संदर्भित नियम 10 एवं नियम 15 (झ) के अनुसार समस्त शासकीय विभागों के सजावटी विज्ञापन सूचना विभाग के माध्यम से प्रकाशित किया जाना है, किन्तु संज्ञान में आया है कि कतिपय विभागों द्वारा अपने स्तर से ही सजावटी विज्ञापन समाचार पत्र / पत्रिकाओं में प्रकाशित कराये जा रहे हैं। साथ ही कतिपय विभागों द्वारा शासकीय

विज्ञापनों को प्रकाशित किये जाने के संदर्भ में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयादेश दिनांक 18.03.2016 (छायाप्रति संलग्न) का भी अनुपालन किया जाना अपेक्षित है।

4. अतः इस सम्बन्ध में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि समस्त शासकीय विभाग उक्त विषय को गंभीरता से लेते हुए उपरोक्त नियम – 10 एवं नियम – 15 (झ) का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें तथा सजावटी विज्ञापनों का सूचना महानिदेशालय के माध्यम से ही प्रकाशन तथा शासकीय विज्ञापनों के प्रकाशन के संबंध में मा० सर्वोच्च न्यायालय के उक्त निर्णयादेश का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित करें ताकि प्रभावी नियमों एवं मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के उल्लंघन को लेकर असहज स्थिति उत्पन्न न हो।